कुछ वर्षों पूर्व तक अपराध करने वाले लोग राजनेताओं के यहाँ शरण पाते थे, परन्तु शनैः शनैः अपराधी स्वयं राजनीति में हाथ आजमाने लगे... अब तो हालत यह हो गयी है कि राजनीति में इन्हीं का बोलबाला हो गया है...
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जब से बाबा रामदेव ने योग के बहाने व्यापार में आकर बुलंदी के झंडे गाड़े हैं, तब से अन्य आध्यात्मिक गुरुओं की भी जिजीविषा व्यापारिक क्षेत्र के प्रति जागृत हो गयी है... यहाँ तक कि राजनेता भी विकास कार्यों की अपेक्षा व्यापारिक गतिविधियों में रूचि लेने लगे हैं... यानि अब धर्म व राजनीति की घुसपैठ व्यापार में भी... क्या यह खतरे की घंटी नहीं है व्यापारी समुदाय के लिए... ?
व्यापारियों के लिए खतरे की घंटी है ये...